Wednesday, 28 October 2015
Important questions about Slave Dynasty
1. Which is the first Muslim Dynasty in India ?
Answer: Slave Dynasty
2. Which Dynasty is also called as 'Ilbari Dynasty ' , ' Yamini Dynasty' or 'Mamluk Dynasty ' ?
Answer: Slave Dynasty
3. When did the Slave Dynasty
founded ?
Answer: AD 1206
4. Who is the founder of Slave Dynasty ?
Answer: Qutub-ud-din Aibak
5. Who is known as Lakh Baksh ?
Answer: Qutub-ud-din Aibak
6. Who started the construction of
Qutab Minar ?
Answer: Qutub-ud-din Aibak
7. Who completed the construction of
Qutab Minar ?
Answer: Iltumish
8. Who is the first and only Muslim woman ruled Delhi ?
Answer: Razia Sultana (Daughter of
Iltumish)
9. Who is considered as founder of
second Ilbari Dynasty ?
Answer: Balban
10. Who is known as ' Shadow of God' ?
Answer: Balban
11. Who is the last Slave ruler ?
Answer: Kayumars
GK questions about earth's atmosphere
Earth's atmosphere is a very important area for all competitive exams. Let's discuss some important questions from earth's atmospheric layers.
1. Which is the most abundant gas in earth's atmosphere ?
answer: Nitrogen
2. What is the percentage of oxygen in earth's atmosphere ?
answer: 21 %
3. Which is the most abundant noble gas in earth's atmosphere ?
answer: Argon
4. Which is the lower most layer in
earth's atmosphere ?
answer: Troposphere
5. Weather phenomena like cloud, rain, snow, storm etc are formed in which
atmospheric layer of earth ?
answer: Troposphere
6. In which atmospheric layer the phenomenon Aurora Borealis occurs ?
answer: Thermosphere
Monday, 19 October 2015
संत कबीर के दोहे.....
गुरु गोविंद दोउ खड़े, काके लागूं पाँय ।
बलिहारी गुरु आपने, गोविंद दियो मिलाय ॥
यह तन विष की बेलरी, गुरु अमृत की खान |
शीश दियो जो गुरु मिले, तो भी सस्ता जान ||
सब धरती काजग करू, लेखनी सब वनराज |
सात समुद्र की मसि करूँ, गुरु गुण लिखा न जाए ||
ऐसी वाणी बोलिए मन का आप खोये |
औरन को शीतल करे, आपहुं शीतल होए ||
बड़ा भया तो क्या भया, जैसे पेड़ खजूर |
पंथी को छाया नहीं फल लागे अति दूर ||
निंदक नियेरे राखिये, आँगन कुटी छावायें |
बिन पानी साबुन बिना, निर्मल करे सुहाए ||
बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय |
जो मन देखा आपना, मुझ से बुरा न कोय ||
दुःख में सुमिरन सब करे, सुख में करे न कोय |
जो सुख में सुमिरन करे, तो दुःख काहे को होय ||
माटी कहे कुमार से, तू क्या रोंदे मोहे |
एक दिन ऐसा आएगा, मैं रोंदुंगी तोहे ||
पानी केरा बुदबुदा, अस मानस की जात |
देखत ही छुप जाएगा है, ज्यों सारा परभात ||
चलती चक्की देख के, दिया कबीरा रोये |
दो पाटन के बीच में, साबुत बचा न कोए ||
मलिन आवत देख के, कलियन कहे पुकार |
फूले फूले चुन लिए, कलि हमारी बार ||
काल करे सो आज कर, आज करे सो अब |
पल में परलय होएगी, बहुरि करेगा कब ||
ज्यों तिल माहि तेल है, ज्यों चकमक में आग |
तेरा साईं तुझ ही में है, जाग सके तो जाग ||
जहाँ दया तहा धर्म है, जहाँ लोभ वहां पाप |
जहाँ क्रोध तहा काल है, जहाँ क्षमा वहां आप ||
जो घट प्रेम न संचारे, जो घट जान सामान |
जैसे खाल लुहार की, सांस लेत बिनु प्राण ||
जल में बसे कमोदनी, चंदा बसे आकाश |
जो है जा को भावना सो ताहि के पास ||
जाती न पूछो साधू की, पूछ लीजिये ज्ञान |
मोल करो तलवार का, पड़ा रहने दो म्यान ||
जग में बैरी कोई नहीं, जो मन शीतल होए |
यह आपा तो डाल दे, दया करे सब कोए ||
ते दिन गए अकारथ ही, संगत भई न संग |
प्रेम बिना पशु जीवन, भक्ति बिना भगवंत ||
तीरथ गए से एक फल, संत मिले फल चार |
सतगुरु मिले अनेक फल, कहे कबीर विचार ||
तन को जोगी सब करे, मन को विरला कोय |
सहजे सब विधि पाइए, जो मन जोगी होए ||
प्रेम न बारी उपजे, प्रेम न हाट बिकाए |
राजा प्रजा जो ही रुचे, सिस दे ही ले जाए ||
जिन घर साधू न पुजिये, घर की सेवा नाही |
ते घर मरघट जानिए, भुत बसे तिन माही ||
साधु ऐसा चाहिए जैसा सूप सुभाय।
सार-सार को गहि रहै थोथा देई उडाय॥
पाछे दिन पाछे गए हरी से किया न हेत |
अब पछताए होत क्या, चिडिया चुग गई खेत ||
उजल कपडा पहन करी, पान सुपारी खाई |
ऐसे हरी का नाम बिन, बांधे जम कुटी नाही ||
जब मैं था तब हरी नहीं, अब हरी है मैं नाही |
सब अँधियारा मिट गया, दीपक देखा माही ||
नहाये धोये क्या हुआ, जो मन मैल न जाए |
मीन सदा जल में रहे, धोये बास न जाए ||
प्रेम पियाला जो पिए, सिस दक्षिणा देय |
लोभी शीश न दे सके, नाम प्रेम का लेय ||
प्रेम भावः एक चाहिए, भेष अनेक बनाये |
चाहे घर में बास कर, चाहे बन को जाए ||
फल कारण सेवा करे, करे न मन से काम |
कहे कबीर सेवक नहीं, चाहे चौगुना दाम ||
माला फेरत जुग भया, फिरा न मन का फेर ।
कर का मनका डार दे, मन का मनका फेर ॥
माया छाया एक सी, बिरला जाने कोय |
भागत के पीछे लगे, सन्मुख आगे सोय ||
मन दिना कछु और ही, तन साधून के संग |
कहे कबीर कारी दरी, कैसे लागे रंग ||
काया मंजन क्या करे, कपडे धोई न धोई |
उजल हुआ न छूटिये, सुख नी सोई न सोई ||
कागद केरो नाव दी, पानी केरो रंग |
कहे कबीर कैसे फिरू, पञ्च कुसंगी संग ||
कबीरा सोई पीर है, जो जाने पर पीर |
जो पर पीर न जानही, सो का पीर में पीर ||
जाता है तो जाण दे, तेरी दशा न जाई |
केवटिया की नाव ज्यूँ, चडे मिलेंगे आई ||
कुल केरा कुल कूबरे, कुल राख्या कुल जाए |
राम नी कुल, कुल भेंट ले, सब कुल रहा समाई ||
कबीरा हरी के रूठ ते, गुरु के शरणे जाए |
कहत कबीर गुरु के रूठ ते, हरी न होत सहाय ||
कबीरा ते नर अँध है, गुरु को कहते और ।
हरि रूठे गुरु ठौर है, गुरु रूठे नहीं ठौर ॥
कबीर सुता क्या करे, जागी न जपे मुरारी |
एक दिन तू भी सोवेगा, लम्बे पाँव पसारी ||
कबीर खडा बाजार में, सबकी मांगे खैर |
ना काहूँ से दोस्ती, ना काहूँ से बैर ||
नहीं शीतल है चंद्रमा, हिम नहीं शीतल होय |
कबीर शीतल संत जन, नाम सनेही होय ||
पोथी पढ़ पढ़ जग मुआ, पंडित भया न कोय |
ढाई आखर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होय ||
राम बुलावा भेजिया, दिया कबीरा रोय |
जो सुख साधू संग में, सो बैकुंठ न होय ||
शीलवंत सबसे बड़ा सब रतनन की खान |
तीन लोक की सम्पदा, रही शील में आन ||
साईं इतना दीजिये, जामे कुटुंब समाये |
मैं भी भूखा न रहूँ, साधू न भूखा जाए ||
माखी गुड में गडी रहे, पंख रहे लिपटाए |
हाथ मेल और सर धुनें, लालच बुरी बलाय ||
सुमिरन मन में लाइए, जैसे नाद कुरंग |
कहे कबीरा बिसर नहीं, प्राण तजे ते ही संग ||
सुमिरन सूरत लगाईं के, मुख से कछु न बोल |
बाहर का पट बंद कर, अन्दर का पट खोल ||
साहिब तेरी साहिबी, सब घट रही समाय |
ज्यों मेहंदी के पात में, लाली रखी न जाए ||
संत पुरुष की आरती, संतो की ही देय |
लखा जो चाहे अलख को, उन्ही में लाख ले देय ||
ज्ञान रतन का जतन कर, माटी का संसार |
हाय कबीरा फिर गया, फीका है संसार ||
हरी संगत शीतल भया, मिटी मोह की ताप |
निश्वास सुख निधि रहा, आन के प्रकटा आप ||
कबीर मन पंछी भय, वहे ते बाहर जाए |
जो जैसी संगत करे, सो तैसा फल पाए ||
कुटिल वचन सबसे बुरा, जा से होत न चार |
साधू वचन जल रूप है, बरसे अमृत धार ||
आये है तो जायेंगे, राजा रंक फ़कीर |
इक सिंहासन चढी चले, इक बंधे जंजीर ||
ऊँचे कुल का जनमिया, करनी ऊँची न होय |
सुवर्ण कलश सुरा भरा, साधू निंदा होय ||
रात गंवाई सोय के, दिवस गंवाया खाय ।
हीरा जन्म अमोल सा, कोड़ी बदले जाय ॥
कामी क्रोधी लालची, इनसे भक्ति न होय |
भक्ति करे कोई सुरमा, जाती बरन कुल खोए ||
कागा का को धन हरे, कोयल का को देय |
मीठे वचन सुना के, जग अपना कर लेय ||
लुट सके तो लुट ले, हरी नाम की लुट |
अंत समय पछतायेगा, जब प्राण जायेगे छुट ||
तिनका कबहुँ ना निंदये, जो पाँव तले होय ।
कबहुँ उड़ आँखो पड़े, पीर घानेरी होय ॥
धीरे-धीरे रे मना, धीरे सब कुछ होय ।
माली सींचे सौ घड़ा, ॠतु आए फल होय ॥
माया मरी न मन मरा, मर-मर गए शरीर ।
आशा तृष्णा न मरी, कह गए दास कबीर ॥
जो तोको काँटा बुवै ताहि बोव तू फूल।
तोहि फूल को फूल है वाको है तिरसुल॥
उठा बगुला प्रेम का, तिनका चढ़ा अकास।
तिनका तिनके से मिला, तिन का तिन के पास॥
साधू गाँठ न बाँधई उदर समाता लेय।
आगे पाछे हरी खड़े जब माँगे तब देय॥
Thursday, 24 September 2015
एडॉल्फ हिटलर की जीवन कहानी-आत्मकथा – Adolf Hitler life story in Hindi
सर्वविदित है कि कोई भी इंसान बुरा नहीं होता, बुराई इंसान की सोच के आधार पर ही विकसित होती है। विश्व मानवता के शत्रु कहे जाने वाले हिटलर में यदि अवगुण थे, तो ध्यान रहे, यह उसकी विश्व-विजेता बनने की महत्त्वाकांक्षा थी। साथ ही उसकी राष्ट्रवादी मनोवृत्ति को भी हमें नहीं भूलना चाहिए।
अडोल्फ हिटलर का जन्म आस्ट्रिया में 20 अप्रैल 1889 को हुआ। उनकी प्रारंभिक शिक्षा लिंज नामक स्थान पर हुई। पिता की मृत्यु के पश्चात् 17 वर्ष की अवस्था में वे वियना गए। कला विद्यालय में प्रविष्ट होने में असफल होकर वे पोस्टकार्डों पर चित्र बनाकर अपना निर्वाह करने लगे। इसी समय से वे साम्यवादियों और यहूदियों से घृणा करने लगे। जब प्रथम विश्वयुद्ध प्रारंभ हुआ तो वे सेना में भर्ती हो गए औरफ्रांस में कई लड़ाइयों में उन्होंने भाग लिया। 1918 ई. में युद्ध में घायल होने के कारण वे अस्पताल में रहे। जर्मनी की पराजय का उनको बहुत दु:ख हुआ।
प्रथम विश्व युद्ध के फैलने पर, एडॉल्फ हिटलर जर्मन सेना में सेवा करने के लिए आवेदन किया. उसने आयरन क्रॉस प्रथम श्रेणी में और ब्लैक वुंड पदक प्राप्त कर के, वीरता के लिए सम्मानित किया गया. एडॉल्फ हिटलर की युद्ध के प्रयासों के पतन से अधिक कड़वा हो गया. प्रथम विश्व युद्ध के बाद, हिटलर के मनिच में लौटे और एक खुफिया अधिकारी के रूप में सेना के लिए काम करना जारी रखा. हिटलर की कटु बीयर हॉल भाषणों के नियमित रूप से दर्शकों को आकर्षित करने के लिए शुरू किया. एडॉल्फ हिटलर ने घोषणा की है कि, राष्ट्रीय क्रांति एक नई सरकार के गठन शुरू कर दिया गया.
जर्मनी में ग्रेट डिप्रेशन हिटलर के लिए एक राजनैतिक अवसर प्रदान किया. चुनाव जर्मन राजनीति में एक मजबूत ताकत के रूप में हिटलर की स्थापना की. 1938 में हिटलर, कई अन्य यूरोपीय नेताओं के साथ, म्यूनिख समझौते पर हस्ताक्षर किए.
29 अप्रैल 1945 को, एडॉल्फ हिटलर ने अपनी प्रेमिका ईवा ब्राउन से शादी कर ली. दुश्मन के सैनिकों के हाथों में पड़ने के डर से हिटलर और ब्राउन 30 अप्रैल 1945 को, उनकी शादी के बाद आत्महत्या कर ली. उनके शरीर जला दिया गया. बगीचे के पीछे जहां रैह दफ़्तर, बमबारी से किया गया. हिटलर की हार यूरोपीय जर्मनी का प्रभुत्व इतिहास अंत हो गया और फासीवाद की हार के एक चरण का अंत हो गया. एक नई वैचारिक विश्व संघर्ष, शीत युद्ध, द्वितीय विश्व युद्ध के बाद उभरा है.
हिटलर के बारे में जानिये चौंकाने वाला खुलासा
अडोल्फ हिटलर उन चर्चित लोगों में से एक है, जिन्हें लाखों-करोड़ों यहूदियों की मौत का दोषी बताया गया था। हिटलर बीसवीं सदी के सर्वाधिक चर्चित या फिर कहें सर्वाधिक घृणित व्यक्तियों में से एक हैं। हिटलर के बारे में जितना भी पढ़ो कम ही लगता है। हिटलर के बारे में थोड़ी बहुत जानकारी तो हर किसी को होगी लेकिन उनके बारे में कुछ ऐसी बातें भी हैं, जो आपको चौंका देगी। जी हां, हिटलर को आप एक प्रसिद्ध राजनेता एवं तानाशाह के रूप में जानते हैं, मगर वह सब स्कूल में पढ़ाई गई इताहस कि कक्षा में था। पर यहां हम आपको हिटलर के बारे में कुछ ऐसी हैरत करने वाली बातें बताएंगे जिसे ना तो आपने किसी हिस्ट्री की किताब में पढ़ी होगी और ना ही कभी किसी से सुनी होगी। तो आइये जानते हैं हिटलर के बारे में चौंकाने वाला खुलासा- हिटलर के बारे में जाने चौंकाने वाला खुलासा
1. यहूदियों पर इतना अत्याचार करने के बाद हिटलर का पहला प्यार एक यहूदी लड़की ही थी। मगर हिटलर के पास उस समय इतनी भी हिम्मत नहीं थी कि वह उस लड़की से अपने प्यार का इजहार कर सकता।
2. हिटलर पेट फूलने की समस्या से ग्रस्त था। इसके लिए वह 28 तरीके की दवाइयां लेता था। इतना ही नहीं, वह 80 तरह की नशीली दवाओं (ड्रग्स) का लती भी था। इनमें, बैल का वीर्य, चूहे मारने वाली दवाई और मॉर्फिन हिटलर को अत्यधिक पसंद थी।
3. आधुनिक इतिहास में पहली बार हिटलर वह पहला इंसान था जिसने धूम्रपान विरोधी अभियान का आगाज किया।
4. हिटलर की जिंदगी का वह दिन सबसे खुशी भरा था जब, सन 1938 में टाइम्स मैगजीन ने हिटलर को "दा मैन ऑफ दा ईयर" का टाइटल दिया था।
5. बताया जाता है कि हिटलर के पास सिर्फ एक ही अंडकोष था इसलिये वह कभी पिता नहीं बन पाया।
6. हिटलर ने भले ही कितने लोगों के खून बहाए हों, लेकिन वह शुद्ध रूप से शाकाहारी था। इतना ही नहीं, उसने पशु क्रूरता के खिलाफ एक कानून भी बनाया था।
Saturday, 29 August 2015
ABOUT नागा साधु
नागा जाति : नागा भारत की प्रमुख जनजातियों में से एक है। भारत के उत्तर-पूर्वी राज्य नागालैंड, जिसमें नंगा पर्वत श्रेणियां फैली हुई हैं, नागा जनजाति का मूल निवास स्थान है।
नागा शब्द का अर्थ : 'नागा' शब्द की उत्पत्ति के बारे में कुछ विद्वानों की मान्यता है कि यह शब्द संस्कृत के 'नागा' शब्द से निकला है, जिसका अर्थ 'पहाड़' से होता है और इस पर रहने वाले लोग 'पहाड़ी' या 'नागा' कहलाते हैं। कच्छारी भाषा में 'नागा' से तात्पर्य 'एक युवा बहादुर लड़ाकू व्यक्ति' से लिया जाता है। 'नागा' का अर्थ 'नंगे' रहने वाले व्यक्तियों से भी है। उत्तरी-पूर्वी भारत में रहने वाले इन लोगों को भी 'नागा' कहते हैं।
कुछ विद्वानों का मत है कि नागा संन्यासियों के अखाड़े आदि शंकराचार्य के पहले भी थे, लेकिन उस समय इन्हें अखाड़ा नाम से नहीं पुकारा जाता था। इन्हें बेड़ा अर्थात साधुओं का जत्था कहा जाता था। पहले अखाड़ा शब्द का चलन नहीं था। साधुओं के जत्थे में पीर और तद्वीर होते थे। अखाड़ा शब्द का चलन मुगलकाल से शुरू हुआ।
कुछ अन्य इतिहासकार यह मानते हैं कि भारत में नागा संप्रदाय की परंपरा प्रागैतिहासिक काल से शुरू हुई है। सिंधु की घाटी में स्थित विख्यात मोहनजोदड़ो की खुदाई में पाई जाने वाली मुद्रा तथा उस पर पशुओं द्वारा पूजित एवं दिगंबर रूप में विराजमान पशुपति की प्रतिमा इस बात का प्रमाण है कि वैदिक साहित्य में भी ऐसे जटाधारी तपस्वियों का वर्णन मिलता है। भगवान शिव इन तपस्वियों के अराध्य देव हैं।
सिकंदर महान के साथ आए यूनानियों को अनेक दिगंबर साधुओं के दर्शन हुए थे। बुद्ध और महावीर भी इन्हीं साधुओं के दो प्रधान संघों के अधिनायक थे। जैन धर्म में जो दिगंबर साधु होते हैं और हिंदुओ में जो नागा संन्यासी हैं वे दोनों ही एक ही परंपरा से निकले हुए हैं। इस देश में नागा जाति भी होती है जो नागालैंड में रहती है।
कुंभ से पहले कहां रहते हैं नागा साधु, कहां सोते हैं और क्या खाते हैं
देखें: ऐसे बनते हैं नागा साधु
- दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक मेले-महाकुंभ के कई अलग-अलग रंगों में एक रंग हैं- नागा साधु जो हमेशा की तरह श्रद्धालुओं के कौतूहल का केंद्र बने हुए हैं।
- इनका जीवन आम लोगों के लिए एक रहस्य की तरह होता है।
- नागा साधु बनाने की प्रक्रिया महाकुंभ के दौरान ही होती है।
- नागा साधु बनने के लिए इतनी परीक्षाओं से गुजरना पड़ता है कि शायद बिना संन्यास और दृढ़ निश्चय के कोई व्यक्ति इस पर पार ही नहीं पा सकता।
- सनातन परंपरा की रक्षा और उसे आगे बढ़ाने के उद्देश्य से विभिन्न संन्यासी अखाड़ों में हर महाकुंभ के दौरान नागा साधु बनाए जाते हैं।
- अखाड़ों के मुताबिक इस बार प्रयाग महाकुंभ में पांच हजार से ज्यादा नागा साधु बनाए जाएंगे।
- आमतौर पर नागा साधु सभी संन्यासी अखाड़ों में बनाए जाते हैं लेकिन जूना अखाड़ा सबसे ज्यादा नागा साधु बनाता है।
- सभी तेरह अखाड़ों में जूना अखाड़ा सबसे बड़ा अखाड़ा भी माना जाता है।
- जूना अखाड़े के महंत नारायण गिरि महाराज के मुताबिक नागाओं को सेना की तरह तैयार किया जाता है।
- अखाड़ा अपने स्तर पर ये तहकीकात करता है कि वह साधु क्यों बनना चाहता है।
- नागा को आम दुनिया से अलग और विशेष बनना होता है। इस प्रक्रिया में काफी समय लगता है।
- नागा बनने आए व्यक्ति की पूरी पृष्ठभूमि देखी जाती है।
- अगर अखाड़े को ये लगता है कि वह साधु बनने के लिए सही व्यक्ति है तो उसे अखाड़े में प्रवेश की अनुमति मिलती है।
- प्रवेश की अनुमति के बाद पहले तीन साल गुरुओं की सेवा करने के साथ धर्म कर्म और अखाड़ों के नियमों को समझना होता है।
- इसी अवधि में ब्रह्मचर्य की परीक्षा ली जाती है। अगर अखाड़ा और उस व्यक्ति का गुरु यह निश्चित कर ले कि वह दीक्षा देने लायक हो चुका है तो फिर उसे अगली प्रक्रिया में ले जाया जाता है।
- उन्होंने कहा कि अगली प्रक्रिया कुंभ मेले के दौरान शुरू होती है। जब ब्रह्मचारी से उसे महापुरुष बनाया जाता है।
- इस दौरान उनका मुंडन कराने के साथ उसे 108 बार गंगा में डुबकी लगवाई जाती है।
- उसके पांच गुरु बनाए जाते हैं। भस्म, भगवा, रूद्राक्ष आदि चीजें दी जाती हैं। महापुरुष के बाद उसे अवधूत बनाया जाता है।
- अखाड़ों के आचार्य द्वारा अवधूत का जनेऊ संस्कार कराने के साथ संन्यासी जीवन की शपथ दिलाई जाती हैं।
- इस दौरान उसके परिवार के साथ उसका भी पिंडदान कराया जाता है।
- इसके पश्चात दंडी संस्कार कराया जाता है और रातभर उसे ओम नम: शिवाय का जाप करना होता है।
- उसके पश्चात सभी को फिर से गंगा में 108 डुबकियां लगवाई जाती हैं।
- स्नान के बाद अखाड़े के ध्वज के नीचे उससे दंडी त्याग कराया जाता है। इस प्रक्रिया के बाद वह नागा साधु बन जाता है।
- चूंकि नागा साधु की प्रक्रिया प्रयाग (इलाहाबाद), हरिद्वार, नासिक और उज्जैन में कुम्भ के दौरान ही होती है।
- प्रयाग के महाकुंभ में दीक्षा लेने वालों को नागा, उज्जैन में दीक्षा लेने वालों को खूनी नागा कहा जाता है।
- माया मोह त्यागकर वैराग्य धारण की इच्छा लिए विभिन्न अखाड़ों की शरण में आने वाले व्यक्तियों को परम्परानुसार आजकल प्रयाग महाकुंभ में नागा साधु बनाया जा रहा है।
- जब भी कोई व्यक्ति साधु बनने के लिए किसी अखाड़े में जाता है तो उसे कभी सीधे-सीधे अखाड़े में शामिल नहीं किया जाता।
- जूना अखाड़े के एक और महंत नरेंद्र महाराज कहते हैं कि जाप के बाद भोर में अखाड़े के महामंडलेश्वर उससे विजया हवन कराते हैं।
- हरिद्वार में दीक्षा लेने वालों को बर्फानी व नासिक वालों को खिचड़िया नागा के नाम से जाना जाता है।
- इन्हें अलग-अलग नाम से केवल इसलिए जाना जाता है, जिससे उनकी यह पहचान हो सके कि किसने कहां दीक्षा ली है
Sunday, 19 July 2015
सुकरात के अनमोल विचार
Quote 1: An honest man is always a child.
In Hindi : एक ईमानदार आदमी हमेशा एक बच्चा होता है.
Socrates सुकरात
Quote 2: All men’s souls are immortal, but the souls of the righteous are immortal and divine.
In Hindi : हर व्यक्ति की आत्मा अमर होती है , लेकिन जो व्यक्ति नेक होते हैं उनकी आत्मा अमर और दिव्य होती है
Socrates सुकरात
Quote 3: As for me, all I know is that I know nothing.
In Hindi : जहाँ तक मेरा सवाल है , मैं बस इतना जानता हूँ कि मैं कुछ नहीं जानता.
Socrates सुकरात
Quote 4: As to marriage or celibacy, let a man take which course he will, he will be sure to repent.
In Hindi : शादी या ब्रह्मचर्य , आदमी चाहे जो भी रास्ता चुन ले , उसे बाद में पछताना ही पड़ता है .
Socrates सुकरात
Quote 5: Be slow to fall into friendship; but when thou art in, continue firm and constant.
In Hindi : मित्रता करने में धीमे रहिये , पर जब कर लीजिये तो उसे मजबूती से निभाइए और उसपर स्थिर रहिये .
Socrates सुकरात
Quote 6: Death may be the greatest of all human blessings.
In Hindi : मृत्यु संभवतः मानवीय वरदानो में सबसे महान है .
Socrates सुकरात
Quote 7: By all means, marry. If you get a good wife, you’ll become happy; if you get a bad one, you’ll become a philosopher.
In Hindi : चाहे जो हो जाये शादी कीजिये . अगर अच्छी पत्नी मिली तो आपकी ज़िन्दगी खुशहाल रहेगी ; अगर बुरी पत्नी मिलेगी तो आप दार्शनिक बन जायेंगे .
Socrates सुकरात
Quote 8: Beauty is a short-lived tyranny.
In Hindi : सौंदर्य एक अल्पकालिक अत्याचार है.
Socrates सुकरात
Quote 9: Where there is reverence there is fear, but there is not reverence everywhere that there is fear, because fear presumably has a wider extension than reverence.
In Hindi : जहाँ सम्मान है वहां डर है ,पर ऐसी हर जगह सम्मान नहीं है जहाँ डर है, क्योंकि संभवतः डर सम्मान से ज्यादा व्यापक है.
Socrates सुकरात
Quote 10: The greatest way to live with honor in this world is to be what we pretend to be.
In Hindi : इस दुनिया में सम्मान से जीने का सबसे महान तरीका है कि हम वो बनें जो हम होने का दिखावा करते हैं.
Socrates सुकरात
Quote 11: Our prayers should be for blessings in general, for God knows best what is good for us.
In Hindi : हमारी प्रार्थना बस सामान्य रूप से आशीर्वाद के लिए होनी चाहिए, क्योंकि भगवान जानते हैं कि हमारे लिए क्या अच्छा है.
Socrates सुकरात
Quote 12: Not life, but good life, is to be chiefly valued.
In Hindi : ज़िन्दगी नहीं , बल्कि एक अच्छी ज़िन्दगी को महत्ता देनी चाहिए.
Socrates सुकरात
Quote 13: From the deepest desires often come the deadliest hate.
In Hindi : अधिकतर आपकी गहन इच्छाओं से ही घोर नफरत पैदा होती है .
Socrates सुकरात
Quote 14: False words are not only evil in themselves, but they infect the soul with evil.
In Hindi : झूठे शब्द सिर्फ खुद में बुरे नहीं होते , बल्कि वो आपकी आत्मा को भी बुराई से संक्रमित कर देते हैं.
Socrates सुकरात
Quote 15: Employ your time in improving yourself by other men’s writings, so that you shall gain easily what others have labored hard for.
In Hindi : अपना समय औरों के लेखों से खुद को सुधारने में लगाइए , ताकि आप उन चीजों को आसानी से जान पाएं जिसके लिए औरों ने कठिन मेहनत की है .
Socrates सुकरात
Quote 16: He is richest who is content with the least, for content is the wealth of nature.
In Hindi : वो सबसे धनवान है जो कम से कम में संतुष्ट है , क्योंकि संतुष्टि प्रकृति कि दौलत है .
Socrates सुकरात
Quote 17: It is not living that matters, but living rightly.
In Hindi : सिर्फ जीना मायने नहीं रखता , सच्चाई से जीना मायने रखता है.
Socrates सुकरात
Quote 18: I am the wisest man alive, for I know one thing, and that is that I know nothing.
In Hindi : मैं सभी जीवित लोगों में सबसे बुद्धिमान हूँ , क्योंकि मैं ये जानता हूँ कि मैं कुछ नहीं जानता हूँ .
Socrates सुकरात
Quote 19: Worthless people live only to eat and drink; people of worth eat and drink only to live.
In Hindi : मूल्यहीन व्यक्ति केवल खाने और पीने के लिए जीते हैं; मूल्यवान व्यक्ति केवल जीने के लिए खाते और पीते हैं.
Socrates सुकरात
सुकरात की मृत्यु कैसे हुई -how was Socrates died ?
how was Socrates died – आज से करीब 2300 साल पहले एथेंस के बहुत ही गरीब परिवार में सुकरात का जन्म हुआ और उसकी बातों और आचार विहार से वह सूफी जान पड़ता था सूफियों की भाँति साधारण शिक्षा तथा मानव सदाचार पर वह जोर देता था और उन्हीं की तरह पुरानी रूढ़ियों पर प्रहार करता था। वह कहता था, “”सच्चा ज्ञान संभव है बशर्ते उसके लिए ठीक तौर पर प्रयत्न किया जाए; जो बातें हमारी समझ में आती हैं या हमारे सामने आई हैं, उन्हें तत्संबंधी घटनाओं पर हम परखें, इस तरह अनेक परखों के बाद हम एक सचाई पर पहुँच सकते हैं। ज्ञान के समान पवित्रतम कोई वस्तु नहीं हैं।’
लेकिन रूढ़िवादी परम्पराओं पर प्रहार करने के कारण ही एथेंस के सारे प्रतिष्ठित व्यक्ति उसके दुश्मन बन गए थे बोलने की बेबाकी और अनोखपन ही था जो एथेंस की सड़को पर सुकरात तमाम उन लोगो को बेनकाब करता और उनके विरुद्ध में बाते बोलता जो प्रभावशाली थे और अंत में सुकरात पर इल्जाम लगाया गया कि
” इसने युवा लड़को के मस्तिस्क को भ्रष्ट करने का जुर्म किया है और राज्य के द्वारा मान्यता प्राप्त देवी देवताओं में विश्वाश करने की बजाय वह अपने बनाये गए देवी देवताओं को मानता है ।” जब अदालत में ज्यूरी ने सुकरात को दोषी ठहराया उन इल्ज़ामों के लिए जो उस पर लगाये गए थे तो उसने बड़ी शांति से उस फैसले को सुना और कहा ” मेरी विदाई का समय आ गया है मैं अब मरने जा रहा हूँ और आप जीने लेकिन इस में कौनसी घटना अधिक सुखद है इस बारे में केवल ईश्वर जानता है । ”
सुकरात को सज़ा सुनाने के बाद क्रिटो जो कि सुकरात का एक धनवान शिष्य था उसने सुकरात को अनुरोध किया कि अगर वो चाहे तो जेलर को बहुत सारा धन देकर वो उसे छुड़वा सकते है लेकिन सुकरात ने मना कर दिए कि अगर हर नागरिक कानून तोड़े तो प्रशासन कैसे चलेगा और सुकरात का एक शिष्य फेडो जो उसके साथ उसके अंतिम पल तक था उसने सुकरात के मृत्यु के समय का वर्णन किया है कि सुकरात को दिन भर घोटकर तैयार किये हुए जहर हैमलॉक दिया गया जिसकी विशेषता थी कि बिना किसी पीड़ा के किसी को इसे पिलाकर मृत्यु दी जा सकती थी ।
जिस दिन सुकरात को सज़ा दी जानी थी उस दिन सूर्यास्त होने पर जेलर सुकरात से मिलने आया और उस से कहा कि निश्चित ही तुम दुनिया के सबसे बुद्धिमान पुरुष हो क्योकि तुमने कभी बाकी दूसरे कैदियों की तरह मुझे कोसा नहीं क्योकि तुम जानते हो मैं केवल सरकारी हुकुम की तामील कर रहा हूँ और जब अब तुम्हारे साथ ये होने वाला है इसे जितना हो सके सहजता से झेलना और ये कहते कहते वो रो पड़ा ।
सुकरात ने कहा अब जहर ले आओ तो क्रिटो ने कहा थोड़ी देर रुक जाइए क्योकि बाकि कैदी तो इस घडी को टालते है और आधी रात तक जहर नहीं लेते तो सुकरात ने जवाब दिया की मैं ऐसा करूंगा तो अपनी ही नज़रो में गिर जाऊंगा क्योकि उनके लिए तो ये स्वाभाविक है तुम जहर ले आओ तो अधिकारी जहर ले आया और सुकरात ने कहा कि क्या वो इसे पीने से पहले प्रार्थना तो कर सकते है ताकि इस जगत से उस जगत में उसका प्रवेश सुगम हो और इसके साथ सुकरात एक घूँट में पूरा जहर पी गया ।
थोड़ी देर बाद उसका नीचे का शरीर सुन्न पड़ गया तो जब जहर कमर तक पहुंचा तो सुकरात ने खुद पर ढकी चादर उठाकर कहा कि असलेपियस देवी को मुर्गा भेंट कर देना और इसे भूलना नहीं । क्रिटो ने कहा की ये हो जायेगा और कुछ कहना चाहे तो कहे ।
सुकरात ने इस पर कोई जवाब नहीं दिया और कुछ देर बाद प्राण त्याग दिए लेकिन ये हैरानी का विषय था कि सत्तर साल की आयु तक जो व्यक्ति इतनी बेबाकी से जिया और रूढ़िवादी लोगो पर अपने प्रखर बुद्धि के द्वारा प्रतिष्ठित लोगो का जीना हराम कर दिया और हस्ते हस्ते जहर का प्याला पिया उसे क्यों एस्लेपियल देवी को मुर्गा भेंट करना था ।
क्योकि वो इसलिए की असलेपियल स्वस्थ्य की देवी थी और जो स्वस्थ हो जाता वो उसे मुर्गा भेंट करता था तो सुकरात का ये कहना एक नए और स्वस्थ जीवन में प्रवेश होने का संकेत था न की मृत्यु और जीवन के समापन का । तो इस तरह एक दार्शनिक की अनूठे जीवन और उतनी ही अनूठी मृत्यु की ये कहानी है जिसे प्लेटो ने संकलित किया है |
Thursday, 16 April 2015
लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती, कोशिश करने वालों की हार नहीं होती
लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती
नन्ही चीटी जब दाना लेकर चलती है
चढ़ती दीवारों पर, सौ बार फिसलती है
मन का विश्वाश रगों मे साहस भरता है
चढ़कर गिरना, गिरकर चढ़ना न अखरता है
आखिर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती
डुबकियां सिन्धु मे गोताखोर लगाता है,
जा जा कर खाली हाथ लौटकर आता है
मिलते नहीं सहज ही मोंती गहरे पानी में,
बढ़ता दुगना उत्साह इसी हैरानी में.
मुट्ठी उसकी खाली हर बार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती
असफलता एक चुनौती है , इसे स्वीकार करो
,
क्या कमी रह गई, देखो और सुधार करो .
जब तक ना सफल हो , नींद चैन को त्यागो
तुम ,
संघर्ष का मैदान छोड़कर मत भागो तुम.
कुछ किए बिना ही जय जयकार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती
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निर्वस्त्र होकर चलते, शरीर पर भभूत और रेत लपेटे, नाचते-गाते, उछलते-कूदते, डमरू-ढफली बजाते नागा साधुओं का जीवन हमेशा से ही रहस्यमयी रहा है। वह कहां से आते हैं और कहां गायब हो जाते हैं इस बारे में किसी को ज्यादा जानकारी नहीं होती। जूना अखाड़े के प्रवक्ता महंत हरी गिरि के मुताबिक अखाड़ों में आए यह नागा सन्यासी इलाहाबाद, काशी, उज्जैन, हिमालय की कंदराओं और हरिद्वार से आए हैं। इन में से बहुत से संन्यासी वस्त्र धारण कर और कुछ निर्वस्त्र भी गुप्त स्थान पर रहकर तपस्या करते हैं और फिर 6 वर्ष बाद यानी अगले अर्धकुंभ के मौके पर नासिक आएंगे। आमतौर पर यह नागा सन्यासी अपनी पहचान छुपा कर रखते हैं।
कई नागा संन्यासी उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और गुजरात में जूनागढ़ की गुफाओं या पहाडिय़ों से आये हैं। नागा संन्यासी किसी एक गुफा में कुछ साल रहते है और फिर किसी दूसरी गुफा में चले जाते हैं। इस कारण इनकी सटीक स्थिति का पता लगा पाना मुश्किल होता है। एक से दूसरी और दूसरी से तीसरी इसी तरह गुफाओं को बदलते और भोले बाबा की भक्ति में डूबे ये नागा जड़ी-बूटी और कंदमूल के सहारे पूरा जीवन बिता देता हैं। कई नागा जंगलों में घूमते-घूमते सालों काट लेते हैं और अगले कुंभ या अर्ध कुंभ में नजर आते हैं।